त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥ एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥ सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा। बिकट रूप धरि लंक जरावा।। अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥ अन्त धाम शिवपुर में पावे ॥ कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी https://franciscovghje.national-wiki.com/930345/shiv_chalisa_lyrics_in_marathi_an_overview
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